हैरान फिर रहा है इस एटम के दौर में,
अपने कफन को कांधे पे हर आदमी के लिए।
-- साजन पेशावरी
अपने कफन को कांधे पे हर आदमी के लिए।
-- साजन पेशावरी
गैरों की बेवफाई का शिकवा तो है अलग,
अपने भी कर रहे हैं किनारा घड़ी-घड़ी।
-- साजन देहलवी
अपने भी कर रहे हैं किनारा घड़ी-घड़ी।
-- साजन देहलवी
अब यह जाना कि इसे कहते हैं आना दिल का,
हम हंसी खेल समझते थे लगाना दिल का।
-- अमीर मीनाई
हम हंसी खेल समझते थे लगाना दिल का।
-- अमीर मीनाई
तुम मुझे भूल भी जाओ तो यह हक है तुमको,
मेरी बात और है, मैंने तो मुहब्बत की है।
-- साहिर लुधियानवी
मेरी बात और है, मैंने तो मुहब्बत की है।
-- साहिर लुधियानवी
ले दे के अपने पास फकत इक नजर तो है,
क्यों देखें जिंदगी को, किसी की नजर से हम।
-- साहिर लुधियानवी
क्यों देखें जिंदगी को, किसी की नजर से हम।
-- साहिर लुधियानवी