गम पर बेहतरीन शायरी
Samajh kar raham dil, tumko diya tha hmne dil apna.
Magar tum to bla nikle gjb nikle sitam nikle.
-- Dag
Magar tum to bla nikle gjb nikle sitam nikle.
-- Dag
Isse badhkar dost koi dusra hota nhin.
Sab juda ho jaye gam juda hota nhin.
-- Jigar
Sab juda ho jaye gam juda hota nhin.
-- Jigar
Koi hans ke mra duniya men, koi ro ke mra.
Jindgi paai mgr usne, jo kuchh hoke mra.
-- Akbar
Jindgi paai mgr usne, jo kuchh hoke mra.
-- Akbar
Kitne gmon ko hmne, hns kar chhupa liya hai,
Kuchh gam ' amir' lekin, ashkon me dhal rhe hain.
-- Amir
Kuchh gam ' amir' lekin, ashkon me dhal rhe hain.
-- Amir
Aankhe kisi ke husn ka manjar liye huye,
Roti hai aansuon ka samndar liye huye.
-- Falak Dehlvi
Roti hai aansuon ka samndar liye huye.
-- Falak Dehlvi
समझ कर रहमदिल, तुमको दिया था हमने दिल अपना।
मगर तुम तो बला निकले गजब निकले सितम निकले।।
-- दाग
मगर तुम तो बला निकले गजब निकले सितम निकले।।
-- दाग
इससे बढ़कर दोस्त कोई दूसरा होता नहीं।
सब जुदा हो जाए गम जुदा होता नहीं।
-- जिगर
सब जुदा हो जाए गम जुदा होता नहीं।
-- जिगर
कोई हँस के मरा दुनिया में, कोई रो के मरा।
जिंदगी पाई मगर उसने, जो कुछ हो के मरा।।
-- अकबर
जिंदगी पाई मगर उसने, जो कुछ हो के मरा।।
-- अकबर
कितने गमों को हमने, हँस कर छुपा लिया है।
कुछ गम 'अमीर' लेकिन, अश्कों में ढल रहे हैं।।
-- अमीर
कुछ गम 'अमीर' लेकिन, अश्कों में ढल रहे हैं।।
-- अमीर
आंखे किसी के हुस्न का मंजर लिए हुए,
रोती है आंसुओं का समन्दर लिए हुए।
-- फलक देहलवी
रोती है आंसुओं का समन्दर लिए हुए।
-- फलक देहलवी
----------------------------------------------------
IMOTIONAL SHAYRI
--------------------------------------
Chand pagal hai andhere me nikal pdta hai
roj taro ki numaish me khalal pdta hai.
--Rahat Indauri
--Rahat Indauri
-----------------------------------------------------------
कभी आंसू कभी ख़ुशी बेची
हम गरीबों ने बेकसी बेची.
चंद सांसे खरीदने के लिए,
रोज थोड़ी सी जिन्दगी बेची.
-- अबू तालिब
-------------------------------------------
-------------------------------------------
इमोशनल शायरी एस.एम.एस.
-----------------------------------
आंसुओं से ही सही भर गया दामन मेरा
हाथ तो मैंने उठाये थे दुआ किसकी थी,
मेरी आहों की जबान कोई समझता कैसे
जिन्दगी इतनी दुखी मेरे सिवा किसकी थी.
-- मुजफ्फर वारसी
--------------------------------------------------
No comments:
Post a Comment