वो भी क्या मंजर होता है,भीगी-भीगी आँखों का,
धीरे-धीरे जब मिलती है मेरी और तुम्हारी आँखे।
-- जफ़र गोरखपुरी
किसी कीमत पे हो लेकिन तेरा दीदार हो जाये,
फिर उसके बाद चाहे ये नजर बेकार हो जाये।
-- नामालूम
फिर उसके बाद चाहे ये नजर बेकार हो जाये।
-- नामालूम
न जी भर के देखा न कुछ बात की,
बड़ी आरजू थी मुलाकात की।
-- बशीर बद्र
बड़ी आरजू थी मुलाकात की।
-- बशीर बद्र
बाद मुद्दत के मुलाकात हुई है तुमसे,
आज की रात तो चेहरे से हटा लो आंचल।
-- साजिद जबलपुरी
आज की रात तो चेहरे से हटा लो आंचल।
-- साजिद जबलपुरी
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