गणतंत्र दिवस शायरी एस.एम.एस. 2014 :-
मुल्क में ऐ दोस्तों इक इंकिलाब आने को है,
हर सवाले यास खुद लेकर जवाब आने को है।
--गुलाम रब्बानी
हुआ जाता है कैसे मुल्क पर कुर्बान लिख देता,
तुम अपने खून से घर-घर में हिन्दुस्तान लिख देना।
-- नामालूम
वतन के वास्ते ये जान क्या है,
नहीं है इश्क तो ईमान क्या है।
मैं हिन्दुस्तान का सच्चा सिपाही,
मेरी नजरों में पाकिस्तान क्या है।
-- सुखनवर हुसैन
अहले वतन समझते हैं उनको इमामे-हिन्द,
है राम के वजूद पे हिंदुस्तान को नाज।
-- इक़बाल
ऐसे घर में रहना कैसा जो परदेश में हो,
अपने वतन की कुटिया यारो हमको ताजमहल।
-- जमाल हसन
हर सवाले यास खुद लेकर जवाब आने को है।
--गुलाम रब्बानी
हुआ जाता है कैसे मुल्क पर कुर्बान लिख देता,
तुम अपने खून से घर-घर में हिन्दुस्तान लिख देना।
-- नामालूम
वतन के वास्ते ये जान क्या है,
नहीं है इश्क तो ईमान क्या है।
मैं हिन्दुस्तान का सच्चा सिपाही,
मेरी नजरों में पाकिस्तान क्या है।
-- सुखनवर हुसैन
अहले वतन समझते हैं उनको इमामे-हिन्द,
है राम के वजूद पे हिंदुस्तान को नाज।
-- इक़बाल
ऐसे घर में रहना कैसा जो परदेश में हो,
अपने वतन की कुटिया यारो हमको ताजमहल।
-- जमाल हसन