होली विशेष 17 मार्च 2014 - शेरो-शायरी -
होली शायरी -
होली के रंग शायरों के संग :-
इक रंग भरी पिचकारी वो अँगिया पर तक कर मारी हो,
सीने से रंग ढलकते हों तब देख बहारें होली की!
-- 'नजीर' अकबराबादी
सीने से रंग ढलकते हों तब देख बहारें होली की!
-- 'नजीर' अकबराबादी
'नजीर' होली का मौसम जो जग में आता है
वह ऐसा कौन है होली नहीं मनाता है
कोई तो रंग छिड़कता है कोई गाता है
जो खाली रहता है वह देखने को जाता है।
-- नजीर अकबराबादी
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