MOTHERS DAY - BEST SHAYRI
मामूली एक कलम से कहां तक घसीट लाए
हम इस गजल को कोठे से मां तक घसीट लाए।
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आंसू
मुद्दतों मां ने नहीं धोया दुपट्टा अपना।
मुद्दतों मां ने नहीं धोया दुपट्टा अपना।
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक मां है जो मुझसे खफा नहीं होती।
बस एक मां है जो मुझसे खफा नहीं होती।
अब भी चलती है जब आंधी कभी गम की 'राना'
मां की ममता मुझे बांहों में छुपा लेती है।
मां की ममता मुझे बांहों में छुपा लेती है।
मुसीबत के दिनों में हमेशा साथ रहती है
पयम्बर क्या परेशानी में उम्मत छोड़ सकता है।
पयम्बर क्या परेशानी में उम्मत छोड़ सकता है।
जब तक रहा हूं धूप में चादर बना रहा
मैं अपनी मां का आखिरी जेवर बना रहा।
मैं अपनी मां का आखिरी जेवर बना रहा।
-- सभी शेर 'मुनव्वर राणा'
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