कहकशाँ - शेरो-शायरी - मंजर, नजारा
प्यारे प्यारे मंजर लिखना
जो कुछ लिखना सुंदर लिखना
लिखना सोच-समझकर लेकिन
सच्ची बात बराबर लिखना।
-- राही बालाघाटी
हर रस्ता हर मंजर अब तो कोई फसाना लगता है,
जबसे तुम आए हो सारा शहर सुहाना लगता है।
-- निदा फ़ाजली
जबसे तुम आए हो सारा शहर सुहाना लगता है।
-- निदा फ़ाजली
नजारा हमने है देखा तेरी नजरों के तीरों का,
कि घायल कर दिया जालिम ये पत्थर दिल को भी तूने।
-- डॉ. नथमल झंवर
कि घायल कर दिया जालिम ये पत्थर दिल को भी तूने।
-- डॉ. नथमल झंवर
झिलमिला के रह गये सब तेरी यादों के चिराग,
सामने फिर टूटते तारों के मंजर रह गये।
-- कंवल पानीपती
सामने फिर टूटते तारों के मंजर रह गये।
-- कंवल पानीपती
कितने हंसते हुए मौसम अभी आते लेकिन,
एक ही धूप ने कुम्हला दिया वे मंजर मेरा।
-- अतहर नफीस
एक ही धूप ने कुम्हला दिया वे मंजर मेरा।
-- अतहर नफीस
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