बुढ़ापे पर बेहतरीन हिन्दी शायरी :-
हर एक बच्चा अदब करने लगा है,
बुढ़ापा मुझपे शायद आ गया है।
-- राहत सईद अख्तर
बुढ़ापा मुझपे शायद आ गया है।
-- राहत सईद अख्तर
बुढ़ापा इश्क के कांटे समेटते आया,
जवानी हुश्न के फूलों से खेलती आई।
-- हीरालाल फ़लक
जवानी हुश्न के फूलों से खेलती आई।
-- हीरालाल फ़लक
तुमको क्या मालूम बुढ़ापा क्या शै है,
एक छोटा सा बोझ हिमाला लगता है।
-- डॉ. अम्मार हल्लौरी
एक छोटा सा बोझ हिमाला लगता है।
-- डॉ. अम्मार हल्लौरी
मुझको थकने नहीं देता ये जरूरत का पहाड़,
मेरे बच्चे मुझे बूढ़ा नहीं होने देते।
-- मेराज फैजाबादी
मेरे बच्चे मुझे बूढ़ा नहीं होने देते।
-- मेराज फैजाबादी
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