गुलशन वही, बहार वही, बुलबुलें वही,
लेकिन गुलों के हुस्न में, वो बात अब कहां ?
-- असर उस्मानी
लेकिन गुलों के हुस्न में, वो बात अब कहां ?
-- असर उस्मानी
जाने वाले कभी नहीं आते,
जाने वालों की याद आती है।
-- सिकंदर अली 'वज्द'
जाने वालों की याद आती है।
-- सिकंदर अली 'वज्द'
जिन्हें शक हो वो करें और खुदाओं की तलाश,
हम तो इंसान को दुनिया का खुद कहते हैं।
-- फिराक
हम तो इंसान को दुनिया का खुद कहते हैं।
-- फिराक
हम इश्क के मारों का, बस इतना ही अफसाना है।
रोने को नहीं कोई, हंसने को जमाना है।
-- जिगर
रोने को नहीं कोई, हंसने को जमाना है।
-- जिगर
खत्म होगा न जिंदगी का सफर।
मौत बस रास्ता बदलती है।।
-- साहिल मानिकपुरी
मौत बस रास्ता बदलती है।।
-- साहिल मानिकपुरी
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