Janab Akbar Ilahabadi ke Sher -
उन्हीं के मतलब की कह रहा हूं,
जबान मेरी है बात उनकी।
उन्हीं की महफ़िल संवारता हूं,
चिराग मेरा है रात उनकी।
फकत मेरा हाथ चल रहा है,
उन्हीं का मतलब निकल रहा है।
उन्हीं का मजमूं, उन्हीं का कागज,
कलम उन्हीं की, दवात उनकी।
-- अकबर इलाहाबादी
जबान मेरी है बात उनकी।
उन्हीं की महफ़िल संवारता हूं,
चिराग मेरा है रात उनकी।
फकत मेरा हाथ चल रहा है,
उन्हीं का मतलब निकल रहा है।
उन्हीं का मजमूं, उन्हीं का कागज,
कलम उन्हीं की, दवात उनकी।
-- अकबर इलाहाबादी
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