धूप पर इनके अंदाजे बयां -
धूप में चलने की आदत है हमें बचपन से,
जलने लगते हैं कदम छांव में जब होते हैं।
-- डॉ. अब्बास नैय्यर
जलने लगते हैं कदम छांव में जब होते हैं।
-- डॉ. अब्बास नैय्यर
खो देंगे वजूद अपना ये धूप की नगरी है,
क्यूं , के टुकड़ों पर ख्वाबों को सजाता है।
-- युसूफ सागर
क्यूं , के टुकड़ों पर ख्वाबों को सजाता है।
-- युसूफ सागर
यहां दरख्तों के साये में धूप लगती है,
चलो यहां से चलें और उम्र भर के लिए।
-- दुष्यंत कुमार
चलो यहां से चलें और उम्र भर के लिए।
-- दुष्यंत कुमार
जल रहा हूं दोपहर की धूप में तनहा खड़ा,
सर पे सूरज है मेरे कदमों के नीचे छांव है।
-- खलील रामपुरी
सर पे सूरज है मेरे कदमों के नीचे छांव है।
-- खलील रामपुरी
आपको मखमली बिस्तर पे नहीं नींद नसीब,
तपिश में धूप की तपते हैं ये मजदूर गरीब।
-- शौक जालंधरी
तपिश में धूप की तपते हैं ये मजदूर गरीब।
-- शौक जालंधरी
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