Monday, October 21, 2013

करवा चौथ बेस्ट हिन्दी शायरी (22अक्टूबर 2013) :-


वो भी क्या मंजर होता है,भीगी-भीगी आँखों का,
धीरे-धीरे जब मिलती है मेरी और तुम्हारी आँखे।
                          -- जफ़र गोरखपुरी

किसी कीमत पे हो लेकिन तेरा दीदार हो जाये,
फिर उसके बाद चाहे ये नजर बेकार हो जाये।
                          -- नामालूम

न जी भर के देखा न कुछ बात की,
बड़ी आरजू थी मुलाकात की।
                           -- बशीर बद्र

बाद मुद्दत के मुलाकात हुई है तुमसे,
आज की रात तो चेहरे से हटा लो आंचल।
                           -- साजिद जबलपुरी

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