Sunday, February 2, 2014

बसंत पंचमी शायरी (4 फरवरी 2014) :-


BASANT PANCHMI SHAYRI 2014 -

जब देखिये बसंत कि कैसी बसंत हो
आलम में जब बहार की लंगत हो
दिल को नहीं लगन ही मजे की लंगत हो
महबूब दिलबरों से निगह की लडंत हो
इशरत हो सुख हो ऐश हो और जी निश्चिन्त हो
जब देखिए बसंत कि कैसी बसंत हो।
                         -- नजीर अकबराबादी


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