Friday, April 18, 2014

धूप में शेरो-शायरी के छांव :-


लम्हों की कद्र कीजिये वर्ना ये जिंदगी
यूं ही गुजर न जाये कहीं धूप- छांव में।
-- नाजिर सिद्दकी

जीस्त का बोझ उठाये हुए चलते रहिये,
धूप में बर्फ की मानिंद पिघलते रहिये।
-- मेराज

यूं किस तरह कटेगा कड़ी धूप का सफर,
सर पर ख्याले यार की चादर ही ले चलें।
-- फ़िराक गोरखपुरी

आप जिस धूप की तेजी से खौफ खाते हैं,
हमने उस धूप में ये जिंदगी तपायी है।
-- स्व. इशरत मीर

अपने को रहम के साये में न पलने देना,
जिंदगानी की कड़ी धूप में जलने देना।
-- साहिर लुधियानवी


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