Thursday, June 12, 2014

दिल्लगी :- शेरो शायरी


बढ़ा के प्यास मेरी उसने हाथ छोड़ दिया,
वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल्लगी की तरह।
-- कतील शिफाई

होठों के पास आये हंसी क्या मजाल है,
दिल का मुआमला है कोई दिल्लगी नहीं।
-- बहजाद लखनवी

अच्छी नहीं होती है गरीबों से दिल्लगी,
टूटा कहीं जो दिल तो बनाया न जायेगा।
-- शकील बदायूनी

जख्म पे जख्म रग के जी, अपने लहू के घूंट पी,
आह न कर लबों को सी इश्क है दिल्लगी नहीं।
-- एहसान दानिश

हमारे सर की फटी टोपियों पे तंज न कर,
हमारे ताज अजायब घरों में रख्खे हैं।
-- डॉ. बशीर बद्र


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