Tuesday, June 23, 2015

बेहतरीन हिन्दी शायरी -





















अमल से जिन्दगी बनती है, जन्नत भी जहन्नुम भी
ये खाक़ी अपनी फ़ितरत में, न नूरी है न नारी है।
-- इक़बाल
शब्दार्थ - 
खाकी - मनुष्य.
नूरी - दिव्य. 
नारी - नारकीय।

बस कि दुश्वार है हर काम का आसां होना
आदमी को भी मयस्सर नहीं इन्सां होना।
-- ग़ालिब


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