Sunday, October 25, 2015

बेहतरीन शायरी संग्रह


BEST SHAYRI COLLECTION -


मुझ सा बुरा न कोय
न थी हाल की जब हमें अपनी खबर
रहे देखते औरों के ऐबो-हुनर
पड़ी अपनी बुराइयों पे जो नजर
तो निगाह में कोई बुरा न रहा।
              -- बहादुरशाह 'जफर'

खुद क्या हैं
जो चाहिए देखना न देखा हमने
हर शै पे किया है गौर क्या हमने
औरों का समझना तो बहुत मुश्किल है
खुद क्या हैं इसी को कुछ न समझा हमने।
                           -- 'शाद' अजीमाबादी


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