Thursday, November 5, 2015

दीपावली विशेष 2015 : उजाले की शायरी


DEEPAWALI 2015 - BEST SHAYRI MESSAGE


रोशनी तेज करो चाँद सितारों अपनी,
मुझ को मंजिल पे पहुंचना है सहर होने तक।
-- फलक देहलवी

लोग लड़ते रहे रोशनी के लिए
घुप्प अंधेरों का साम्राज्य चलता रहा
दीप था मैं मगर मैं भी खुदगर्ज था,
अपने कमरे में चुपचाप जलता रहा।
-- प्रवीण प्रवाह

इतना सच बोल के होठों का तबस्सुम न बुझे,
रोशनी खत्म न कर आगे अंधेरा होगा।
-- निदा फ़ाजली

बुझा दो आज की शब बज्म के सारे चिरागों को,
रुखे रोशन के आगे रोशनी अच्छी नहीं लगती।
-- मोहसिन अली सुहैल

जहां रहेगा वहीं रोशनी लुटाएगा
किसी चिराग का अपना मकां नहीं होता.
-- वसीम बरेलवी


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